हिन्दी सिर्फ भारत की राष्ट्रभाषा ही नहीं होनी चाहिए बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए

– महात्मा गाँधी, भारत के राष्ट्रपिता

हिन्दी को प्रतिष्ठा दिलाने का काम नियमित तथा सुसम्बद्ध तरीके से चले। एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय हिन्दी केंद्र की स्थापना हो, जहाँ से भारत के बाहर के देशों में भी हिन्दी का प्रचार हो।

–- स्व. डॉ. शिवसागर रामगुलाम, मॉरीशस के प्रथम प्रधानमंत्री।

मॉरीशस ने हिंदी साहित्य की बहुत बड़ी सेवा की है।

–माननीय श्री नरेंद्र मोदी, भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री

अपनी भाषा से इतना प्रेम करने वाले मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना से, मॉरीशस और पूरे डायस्पोरा के इतिहास में मॉरीशस में हिंदी के लिए काम करने वाले हर व्यक्ति और संस्था की मेहनत को एक नयी दिशा मिली है।”

–माननीय श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ, प्रधानमंत्री, मॉरीशस

यहाँ पर हिंदी भाषा को इतना प्यार किया गया है, उसका इतना लालन-पालन किया गया है, उसको इतना दुलार मिला है, शायद कभी कभी हिंदुस्तान के भी कुछ इलाके होंगे जहाँ इतना दुलार नहीं मिला होगा जितना मॉरीशस में मिला है।

–माननीय श्री नरेंद्र मोदी, भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री

हिंदी को विश्व भाषा के रूप में देखने का जो सपना भारत देख रहा है, उसे मॉरीशस की जनता ने भी अपनाया है।

–माननीय श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ, जी.सी.एस.के, के. सी एम.जी, क्यू. सी, मॉरीशस गणराज्य के प्रधान मंत्री

मुझे लगता है कि मैंने कानून इसलिए सीखा है ताकि मैं जीवन भर हिंदी की वकालत कर सकूँ।

– सोमदत्त बखोरी (प्रसिद्ध मॉरीशसीय हिंदी साहित्यकार व प्रचारक)

हमारे सामने मॉरीशस का देखने में छोटा लेकिन अपार तेजस्वी रूप है। यह संसार को निश्चित रूप से नया संदेश दे रहा है और यही आगे चलकर कदाचित विश्व संस्कृति का एक आदर्श रूप बनेगा।

– स्व. आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी (द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन में)

मॉरीशस का जो हिंदी साहित्य है, उसमें यहाँ के पसीने की महक है। और वो महक आने वाले दिनों में साहित्य को और नया सामर्थ्य देगी।

–महामहिम श्री नरेंद्र मोदी, भारत गणराज्य के प्रधान मंत्री

मेरा विश्वास है कि हिंदी प्यार और एकता की भाषा है। यह हमेशा से जनता की भाषा रही है। भारत और मॉरीशस दोनों देशों को स्वतंत्र कराने में हिंदी का हाथ रहा है।”

–मॉरीशस के राष्ट्रपिता, सर शिवसागर रामगुलाम (द्वितीय विश्व हिंदी सम्मेलन, मॉरीशस में)

हिन्दी में विश्व की एक सशक्त भाषा के रूप में उभरने के सभी गुण हैं। आशा है, विश्व हिंदी सचिवालय हिंदी को विश्व स्तर पर गौरवमय स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

– माननीय श्रीमती मीरा कुमार, पूर्व अध्यक्ष, लोकसभा, भारत

कभी हमारे लोग पेड़ों के नीचे बैठकाओं में बच्चों को हिंदी पढ़ाते थे। आज विश्व हिंदी सचिवालय के संयोजन में कंप्यूटर तथा इंटरनेट पर तकनीक की शिक्षा दी जा रही है। यह देखकर मैं गद् गद् हूँ।

– डॉ. वसंत कुमार बनवारी, पूर्व शिक्षा तथा मानव संसाधन मंत्री, मॉरीशस

आज एक सपना मॉरीशस की सुंदर धरती पर साकार हो रहा है, जो २६ वर्ष पूर्व १९७५ में आपकी-हमारी पितृ-भूमि में देखा गया था। वह सपना था विश्व हिंदी सचिवालय की स्थापना का।

– डॉ. मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत

हिंदी यहाँ पर यूरोपीय भाषाओं की तरह तलवार के बल पर नहीं आई। यहाँ पर वह श्रम जीवियों की श्रद्धा और भक्ति के साथ आई। यह उपनिषद, रामायण, और गीता की बेटी बनकर आई । इसी से तो हमारे पूर्वजों को बल मिला कि इस संघर्ष में सब लोगों का सामना कर सके और हम लोग अभी तक जीवित हैं।

–श्री जयनारायण रॉय, प्रसिद्ध हिंदी लेखक व प्रचारक

हिंदी के नाम पर मॉरीशस की हिंदी भारत की हिंदी का एक कन्धा है। सब मिल-मिलाकर प्रयास यही है कि हिंदी अंतर्राष्ट्रीय भाषा बन जाए।

–रामदेव धुरंधर (मॉरीशस के प्रसिद्ध हिंदी कथाकार)

मॉरीशस की अलौकिक भूमि पर हिंदी के सामर्थ्य, महत्वाकांक्षा, उल्लास और संकल्प की अभिव्यक्ति है विश्व हिंदी सचिवालय। हिंद महासागर की गोद में भारत और मॉरीशस के भ्रातृत्व का प्रतीक यह हिंदी गौरव स्थल हमारे साझा वैश्विक स्वप्न को साकार करे।

–बालेन्दु शर्मा दाधीच (प्रसिद्ध भारतीय हिंदी तकनीकविद)

हिंदी भाषा राष्ट्रीय ही नहीं अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर भी अभिव्यक्ति की सुमधुर व सुप्रभावी संवाहिनी है। इसका सुवास व लावण्य विश्वव्यापी होगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

– श्रीमती वीणा उपाध्याय, पूर्व सचिव, राजभाषा, भारत सरकार

हिंदी एक सशक्त भाषा है और देवनागरी पूर्णतया वैज्ञानिक लिपि। मुझे पूरा विश्वास है कि विश्व हिंदी सचिवालय हिंदी को विश्व के मानचित्र पर लाने में मील का पत्थर साबित होगा।

– डॉ. राम प्रकाश, सांसद (राज्यसभा), भारत।

संकल्पनाएँ हैं तो चुनौतियाँ भी हैं। आशा है, विश्व हिंदी सचिवालय चुनौतियों का सामना करते हुए हिंदी को आगे बढ़ाने में सफल होगा।

– के विजय कुमार, अध्यक्ष वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग

यहाँ की कार्यशैली और हिंदी के प्रचार-प्रसार का ढंग अद्वितीय और आश्चर्य चकित करने वाला है। हिंदी को बढ़ावा देने के लिए विश्व हिंदी सचिवालय अत्यंत ही सराहनीय कार्य कर रहा है।

–डॉ. आर. के. दुबे, अध्यक्ष भोजपुरी अकादमी, बिहार।