1975 में नागपुर में आयोजित प्रथम विश्व हिंदी
सम्मेलन के दौरान मॉरीशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री सर शिवसागर रामगुलाम ने विश्व
स्तर पर हिंदी सम्बंधित गतिविधियों के समन्वयन के लिए एक संस्था की स्थापना का
विचार रखा। विचार ने मंतव्य का रूप धारण किया और लगातार कई विश्व हिंदी सम्मेलनों
में मंथन के बाद मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय स्थापित करने पर भारत और मॉरीशस
सरकारों के बीच सहमति हुई ।
दोनों सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किये गए तथा
मॉरीशस की विधान सभा में अधिनियम पारित पारित किया गया । 11 फ़रवरी, 2008 को विश्व
हिंदी सचिवालय ने आधिकारिक रूप से कार्यारम्भ किया।सचिवालय का मुख्य उद्देश्य एक
अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी का प्रचार करना तथा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र
संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए एक वैश्विक मंच तैयार करना है।